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' सनराइज ओवर अयोध्या किताब ' पर इतना बवाल क्यों हुआ?

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की नई किताब 'सनराइज़ ओवर अयोध्या' को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है।

सनराइज ओवर अयोध्या किताब पर इतना बवाल क्यों हुआ?


सलमान खर्शीद ने अपनी किताब में हिंदुत्व की तुलना आतंकी संगठन ISIS और बोको हराम से की है और हिंदुत्व की राजनीति को खतरनाक बताया है। 

वैसे तो इस खबर को सभी पाठकों ने पढ़ा देखा और सुना है फिर भी मेरा बताने का प्रयास है। सभी पार्टियों के नेताओं ने अपना विरोध और समर्थन जाहिर किया। लेकिन इस बात को समझना होगा कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की तरफ से ये तीर चलाया क्यों गया ? किताब लिखने वाले सलमान खुर्शीद और अन्य हिन्दू धर्म और अयोध्या के बारे में कितना जानते हैं? कुछ समय पहले कांग्रेस के ही सुशील कुमार शिंदे ने भगवा आतंकवादी हिंदुओं को नाम दिया और इन्होंने तो हिन्दू की तुलना बोको हरम और isis आतंकवादियों संगठनों से ही कर दी। BJP और VHP से कुछ लोगों को इतनी नफरत हो गई है कि पूरे हिंदुओं को ही निशाना बना देते हैं। जबकि सबसे बड़ी आबादी हिंदुओं की ही है। अगर कोई हिन्दू  धर्म का प्रचार प्रसार करता है और अपनी बात रखता है और उसकी रक्षा के लिए आगे आता है तो क्या बुराई है। सभी को अपने धर्म से प्यार होता है। आगे बढ़ने से पहले इस किताब से संबंधित बातों को जान लेते हैं।

बात किताब और विवाद पर।

इस किताब के मुख्य पृष्ठ पर अयोध्या का ही एक चित्र छपा है। यहां की प्राचीन मंदिरों की इमारतों के ऊपर से उगते हुए सूर्य का दृश्य इसमें दिख रहा है और वहीं किताब का शीर्षक लिखा गया है, 'सनराइज़ ओवर अयोध्या'। 

विवाद किताब के एक पन्ने पर हिंदुत्व से जुड़ी एक लाइन पर है। बीजेपी और वीएचपी से जुड़े कुछ नेताओं का आरोप है कि किताब में हिंदुत्व के ताज़ा वर्जन की तुलना जिहादी गुट ISIS और बोको हराम से की गई है। वहीं सलमान खुर्शीद का दावा है कि उन्होंने किताब में 'हिंदू धर्म' को नहीं 'हिंदुत्व' को आतंकवादी संगठनों से जोड़ा। किताब में हिंदू धर्म के बारे में बहुत कुछ अच्छा लिखा है। 

किताब का वो 'विवादित हिस्सा' छठे चैप्टर "द सैफ़रन स्काई" का हिस्सा है, जिसमें अंग्रेज़ी में एक लाइन लिखी है. "Sanatan Dharma and classical Hinduism known to sages and saints was being pushed aside by robust version of Hindutav, by all standards a political version similar to jihadist Islam of groups like ISIS and Boko Haram of recent years."

सलमान खुर्शीद की लिखी जिन पंक्तियों पर सबसे ज्यादा हंगामा मचा हुआ है, जिसमें लिखा है कि- "भारत के जिस सनातन धर्म और मूल हिंदुत्व की हम बात करते आए हैं, वह भारत के साधु-संत के नाम से पहचाना जाता है और आज उस पहचान को हम कट्टर हिंदुत्व के बल पर दरकिनार कर रहे हैं। वर्तमान समय में हिंदुत्व का एक ऐसा राजनीतिक संस्करण ला दिया गया है, जो इस्लामी जिहादी संगठनों आईएसआईएस और बोको हराम जैसा है।"

इसी एक लाइन को लेकर सारा बवाल चल रहा है। बीजेपी और वीएचपी से जुड़े कुछ नेताओं ने इस पर सवाल उठाए हैं।

किताब का एक और विवादित पन्ना है- इसमें उन्होंने राममंदिर पर आए फैसले पर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि अंत में निश्चित रूप से मस्जिद के मालिकाना के हक को संदिग्ध माना गया है, क्योंकि दूसरे पक्ष ने समय-समय पर इसमें घुसपैठ करने और कब्जा करने का प्रयास किया है, और उन्हें लगता है कि यह सब दुखद है और एक ही धारणा सामने रखता है कि गलत करने वाले को आम तौर पर फायदा होता है।

बुक के एक पेज पर सलमान खुर्शीद ने केंद्र सरकार के मंसूबों पर प्रश्न उठाते हुए लिखा है कि संवैधानिक पीठ ने बहुमत से दिए गए  फैसले में साफ-साफ  कहा था कि तीन तलाक का इस्लाम में कोई स्थान नहीं है और यह कानून सम्मत भी नहीं है। इसके बावजूद सरकार तीन तलाक को अमान्य करने के लिए कानून लेकर लाई और इसे अपराध बना दिया।

किताब का विषय क्या है? 

सलमान खुर्शीद की किताब अयोध्या विवाद और सुप्रीम के ताज़ा फ़ैसले पर है। उन्होंने इस फैसले को अच्छा फ़ैसला बताते हुए लिखा है कि किस तरह इस मुकाम तक पहुँचा गया। किताब लिखने की मंशा को ज़ाहिर करते हुए उन्होंने समाचार एजेंसी ANI को दिए साक्षात्कार में कहा, " लोगों को लगता था कि 100 साल लगेंगे फ़ैसला आने में, फिर उसके बाद लोगों को लगा कि ये फ़ैसला तो बहुत जल्दी आ गया। अब जब फ़ैसला आ गया है, तो यह बहुत लंबा फ़ैसला था।" उनका कहना है "1500 पेज के फैसले को पढ़ा और फिर दोबारा पढ़ा और समझने की कोशिश की और तब तक लोग इस फैसले को बिना पढ़े अपनी राय दे रहे थे। कुछ कह रहे थे - मुझे अच्छा नहीं लगा कि आपने मस्जिद नहीं बनने दी, कुछ ने कहा मुझे अच्छा नहीं लगा कि आपने मंदिर बनवा दिया।"

"लेकिन किसी ने पढ़ा नहीं, समझा नहीं कि सुप्रीम कोर्ट ने क्या किया? क्यों किया? कैसे किया? इसलिए मेरा ये दायित्व बनता है कि इस फैसले को समझाऊँ। मैं इस कोर्ट से संबंध रखता हूँ, लोगों को बताऊँ कि फ़ैसले में त्रुटि है या नहीं। मैंने माना कि ये अच्छा फ़ैसला है। आज के हालात जो देश में है, उसमें मरहम लगाने का एक रास्ता है और ऐसी बात फिर न हो इसका एक प्रयास है।"

सलमान खुर्शीद भारत के क़ानून मंत्री और विदेश मंत्री भी रह चुके हैं। इस लिहाज से उनकी किताब और उसमें की गई टिप्पणी और भी अहम हो जाती है। ख़ास तौर पर तब जब उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। कांग्रेस और दूसरी पार्टियों को लगता है कि बीजेपी अपनी तरफ़ से पूरे मामले पर क्रेडिट लेने की होड़ में जुटी है, वहीं विपक्षी पार्टियाँ इसे कोर्ट का फैसला करार देकर मुद्दे को तूल न देने का प्रयास कर रही हैं।

अब सलमान खुर्शीद ने उठे विवाद पर अपनी सफाई में क्या कहा?

अब इस पर सलमान खुर्शीद ने अपनी सफाई में कहा- हिंदुत्व को कभी आतंकी संगठन नहीं कहा। मैंने किसाब में लिखा है कि जो लोग हिंदू धर्म का दुरुपयोग करते हैं, वह ISIS और बोको हरम का समर्थन करते हैं। मेरी किताब में आतंकी शब्द ही नहीं है। मैंने इस किताब को लिखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार किया था।

ऐसा क्यों लिखा पूछे जाने पर सलमान ने कहा, "हिन्दू धर्म बहुत उच्च स्तर का धर्म है। इसके लिए गांधी जी ने जो प्रेरणा दी उससे से बढ़कर कोई प्रेरणा नहीं हो सकती है। कोई नया लेबल लगा ले तो उसे मैं क्यों मानूं? कोई हिन्दू धर्म का अपमान करे तो भी मैं बोलूंगा। मैंने ये कहा कि हिंदुत्व की राजनीति करने वाले गलत हैं और आईएसआईएस भी गलत है।" 

उन्होंने कहा, "मैं किताब से लोगों को जोड़ना चाहता हूं। मेरी किताब में महात्मा गांधी का जिक्र है। राम का जिक्र है बल्कि पूरी रामायण है। लेकिन हिंदू धर्म को मानने वाले लोग इसकी चर्चा भी नहीं कर रहे।"

परिचर्चा 

जैसा कि ऊपर उल्लेख किया था उसी को आगे बढ़ाते हैं। यहां हमें ये समझना है कि हिन्दू धर्म और हिन्दुत्व में क्या फर्क है? मेरे हिसाब से दोनों एक ही है। तो सलमान खुर्शीद ये क्यों कह रहे हैं कि मैंने हिन्दू धर्म के बारे में कुछ नही कहा, जो कुछ कहा हिंदुत्व के मुद्दे पर कहा है यानि "चिट भी मेरी और पट भी मेरी।"

अभी का जो दौर है वो बहुत संवेदनशील हो गया है और रह रह कर कोई ना कोई आग में घी डालने का काम कर रहा है। सब अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हैं। सोचने वाली बात है कि घूम फिरकर सबका ध्यान हिन्दू धर्म और हिंदुत्व को निशाना बनाना है। उसकी एक मुख्य वजह हिन्दू खुद है क्योंकि वो चुप रहता है। वो जल्दी सड़कों पर नही निकलता है और ना उपद्रव मचाता है और न हिंसा पर उतारू होता है। जब उसके सब्र का बांध टूट जाता है तब परिस्थितियां बदल जाएं ये अलग बात है। दूसरा मुख्य कारण की हिन्दू अपने धर्म को लेकर कट्टर नही है इसलिए वो आपस में ही बट गया है और अपने लोगों की ही टांग खींचने में लगा है। 

सभी को पता होगा कि हर पार्टी में हिंदू नेता - मंत्री हैं पर सही गलत तर्क देने की बात आती है तो वह पार्टी पक्ष में और अपने स्वार्थ की रोटियां खाते रहने के लिए मौन हो जाते हैं या उल्टा उस गलत मुद्दे, बात या घटना का समर्थन करते हैं। तब उनका चरित्र गैर हिंदू विरोधी हो जाता है। उनका हिन्दू होकर भी विरोध नही जाहिर करना ये मानसिकता सिर्फ राजनीति और सत्ता की लालच और अपनी हुकूमत शाही को कायम रखना है। अगर यह किताब अयोध्या फैसले पर थी तो इसमें केंद्र सरकार द्वारा लाये गए तीन तलाक कानून के बारे में कटाक्ष क्यों किया? इसका मतलब यह कि अपना रोश इस किताब के माध्यम से जाहिर करना था। क्योंकि अब कुछ कर तो नही सकते तो कुछ इस तरह किया जाए कि सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे।

ये दौर ऐसा हो गया है कि हर कोई लाइमलाइट में रहना चाहता है और उसके लिए कुछ भी करना पड़े वो करके ही रहेंगें। ये जनता देखती है और जानती भी है। फिर भी वो अपने नेता मंत्री पार्टी का समर्थन करते हैं। वो यह नही तय कर पाते कि देश किस मुकाम पर पहुंचा है। बरगलाने पर बहक जाते हैं और जाति का चोला ओढ़कर उस राह पर चल देते हैं। अगर एक देशभक्त होगा तो उसको गलत बात और गलत बातों का कभी भी समर्थन नही करना चाहिए। फिर चाहे आप किसी भी पार्टी का समर्थन करते हों। हिन्दू मुस्लिम बटवारा की राजनीति अंग्रेजों ने कांग्रेस को सिखाकर गई है। तभी इस देश का विभाजन सत्ता सुख भोगने के लिए किया गया और उसके बाद से कई किताबें छपी और उनमें गलत तर्क पेश किए गए। उस समय लोगों में इतनी जागरूकता नही थी और न ही आज के जैसे मीडिया, सोशल मीडिया का बोलबाला था। जिस कारण लोगों तक सही बात की जानकारी नही हो पाती थी। जिस तरह अभी सलमान खुर्शीद की बुक का तथ्य सामने आया है। इनको क्या अपनी कौम पर या ईसाई कौम पर किताब लिखने का ख्याल नही आया। पाकिस्तान को लेकर और उसकी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल मुस्लिम लोगो पर किताब लिखने का ख्याल नही आया है। पुरा विश्व आतंकवादी घटनाओं से परेशान है तो isis और तालिबानी जैसे आतंकवादी संगठन पर किताब लिखने का ख्याल नही आया। सवाल अनेक हैं पर इसको समझेगा कौन?

हमें जो गलत है उसको गलत कहना होगा फिर वो चाहे कोई भी पार्टी हो या व्यक्ति हो या अधिकारी हो। आपने देखा होगा कि शिकार गरीब आदमी या मध्यमवर्गीय आदमी परिवार होता है। बड़े लोग अपने AC कमरों में बैठे रहते हैं और उन तक कोई आंच नही आती। इसलिए हिन्दू लोगों को अपनी एकजुटता दिखानी होगी। वर्ना जिस तरह पश्चिम बंगाल में हिंदुओं के साथ अत्याचार हुआ है। वो एक दिन बाकी लोगों के घरों तक पहुंचने में देर नही लगेगी। अभी केंद्र में जो सरकार है वो सबका हित देखती है। भूतकाल की सरकारों ने क्या क्या किया है उसको भूलना नही चाहिए। आखिरी में यही कहूंगा कि किसी भी गलत विचारधारा का समर्थन न करें। क्योंकि कोई किसी को देने नही आयेगा, आपको अपना कमाना है और खाना है। इतिहास में क्या क्या हुआ है और उसका क्या हश्र हुआ है ये मत भूलें। आए दिन कितने लोगों की मौतें राजनीति शिकार के कारण हुई है उसकी संख्या को बता पाना मुश्किल है। 

हिन्दू मुस्लिम तुष्टिकरण राजनीति से दूर रहें। अच्छे बुरे की पहचान करें। देश की उन्नति में सहभागी बने। जातिवाद से ऊपर उठकर सोचें। शिक्षा की ओर ध्यान दें और अपने को ऊंचाइयों पर ले जाएं। किसी पार्टी का झंडा पकड़ने से क्षणिक सुख मिलेगा और उतने में घूमते रह जाओगे। "मजा मारेगा कोई और भोगेगा कोई और।" चुनाव आते ही एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप पार्टियां एक दूसरे पर करेंगी पर हमको समझना और तय करना होता है कि क्या गलत है और क्या सही?

परिचर्चा जितनी करूंगा उतनी कम है। मेरा प्रयास समझाने का था। समझ गए तो ठीक नही समझे तो एक दिन झुलस जाओगे। मूल बहस सलमान खुर्शीद की बुक पर अधारित है। जागरूकता फैलाने का एक छोटा सा प्रयास किया है। 

Disclaimer : यहां किसी दूसरे पक्ष पर कटाक्ष करना मूल उद्देश्य नही है। 


सौजन्य: समाचार और व्यक्तिगत माध्यम से

✍️ Vijay Tiwari



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