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hindi kavita ऐसी है जिंदगी

कविता ऐसी है जिंदगी

यारो जिंदगी भी बडी अजीब है।

यहां मांगों तो कुछ नही मिलता।

नही मांगोगे बहुत कुछ मिल जायेगा।

गलत करो तो बुरे और ना करो तो भी बुरे।

क्यों?

क्योंकि ऐसी है जिंदगी हमारी और तुम्हारी।

लोग तकलीफ में आत्महत्या कर लेते हैं।

तब नाटक करेंगें की बताया तो होता।

हमें क्या मालूम ऐसा कर लेगा।

ये सब होने के बाद मंथन भी करेंगें।

क्यों?

क्योंकि ऐसी है जिंदगी हमारी और तुम्हारी।

आपके अपनों को फिकर ना होगी।

जीते जी मर जाओगे चलेगा।

पर कोई ना पूछेगा और न खबर लेगा।

आपको अपने हाल पर छोड़ देंगें।

तुम जियो या मरो।

क्यों?

क्योंकि ऐसी है जिंदगी हमारी और तुम्हारी।

जिसके पास देने को बहुत कुछ होगा।

वो जिंदगी भर रोता रहेगा।

जिसके पास कुछ नही होगा

उसी से अपेक्षा करेंगें।

उसी का हिसाब रखेंगें।

क्यों?

क्योंकि ऐसी है जिंदगी हमारी और तुम्हारी।

लोग कहते रहेगें दूसरों को।

कुछ करो हम तुम्हारे साथ हैं।

लेकिन जब करने का समय आयेगा।

तब मुंह छुपाकर भागेंगें।

जैसे कभी मिले ही नही थे।

क्यों?

क्योंकि ऐसी है जिंदगी हमारी और तुम्हारी।

सबका भाग्य एक जैसा नही होता।

ना सबका भाई राम होगा।

ना सबका मित्र कृष्ण जैसा होगा।

ना सबकी पत्नी माता लक्ष्मी होगी।

ना सबका पिता राजा दशरथ होगा।

क्यों?

क्योंकि ऐसी है जिंदगी हमारी और तुम्हारी।

जिनमें अच्छे भाव होंगें।

वो दूसरे को पहचानेगा।

यही हमारे जीवन की जरुरत है।

बाकी सब स्वार्थ के पुजारी रहेंगें।

वही धन को भगवान समझेंगें।

क्यों?

क्योंकि ऐसी है जिंदगी हमारी और तुम्हारी।

लोग सब जानते रहते हैं।

अंदर क्या है और बाहर क्या हैं।

फिर भी उलझे रहते हैं।

ये जिंदगी भी अजीब सी है।

जो रिश्तों को निभाती है।

और रिश्तों को रुलाती भी है।

क्यों?

क्योंकि ऐसी है जिंदगी हमारी और तुम्हारी।

अभी किस्से तमाम बाकी होंगें।

अभी उम्र भी गुजारनी है।

उधार की जिंदगी बितानी है।

वो मै भी हूं और तुम भी होगे।

सच कहने से परहेज नही।

क्यों?

क्योंकि ऐसी है जिंदगी हमारी और तुम्हारी।

जिंदगी का सफर भी अजीब है।

न जानोगे और न समझोगे। 

शिकायत जरुर करोगे।

फिर भी जीये जाते रहोगे।

क्यों?

क्योंकि ऐसी है जिंदगी हमारी और तुम्हारी।


✍️ Vijay Tiwari


Aisi hai zindagi

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