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Paytm share price । शेयर बाजार में Paytm खराब क्यों सिद्ध हुआ?

Paytm के शेयर ने निवेशकों को क्या सबक वाला संदेश शेयर मार्केट के बारे में दिया है?

Paytm share price । शेयर बाजार में Paytm खराब क्यों सिद्ध हुआ।

देश का सबसे बड़ा आईपीओ होने के बावजूद Paytm का शेयर बीते 10 साल में सबसे खराब लिस्टिंग वाला शेयर रहा है। इससे अब विशेषज्ञों के बीच स्टार्टअप कंपनियों के आईपीओ (Start-Up's IPO) को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है और इसका सीधा असर बहुत जल्द आने वाले कई स्टार्टअप के आईपीओ पर दिख सकता है। रॉयटर्स ने प्रमुख बिजनेस एनालिस्ट और बैंकर्स के हवाले से कहा है कि  Paytm की लिस्टिंग देश के इतिहास की सबसे खराब लिस्टिंग में से एक है।

पेटीएम चलानेवाली कंपनी वन नाइन्टी सेवन कम्युनिकेशंस लिमिटेड के शेयर पहले ही दिन धड़ाम से गिरे, ये कोई अनजान बात नहीं थी। कंपनी के कामकाज़, मुनाफ़े और घाटे, कंपनी के कारोबार में लगातार बढ़ते मुक़ाबले के साथ कंपनी के अनिश्चित भविष्य की आशंकाएं देखते हुए तमाम जानकार लोग यह चेतावनी दे चुके थे कि पेटीएम में पैसा लगाना शायद ठीक नहीं होगा। शेयर बाज़ार का चलन है कि बड़ी कंपनियों के बारे में आसानी से कोई बुरा बोलना नही चाहता है, इसलिए किसी ने सीधे तौर पर यह नहीं कहा कि इसमें पैसा मत लगाइए, लेकिन पर्याप्त संकेत दे दिए थे कि यहाँ पर पैसा लगाना जोखिम भरा हो सकता है। 

आइपीओ से पहले आने वाली रिपोर्टों में इसे अवॉयड या स्किप की रेटिंग कहा जाता है। कुछ लोग इन्वेस्ट फोर लॉन्ग टर्म भी कहते हैं। हालांकि ऐसा कहने वाले यह भी बता देते हैं कि कंपनी का कारोबार बहुत अच्छा है इसलिए लंबे समय की सलाह दे रहे हैं या फिर इसलिए क्योंकि कंपनी हाल फ़िलहाल तो बहुत अच्छा नहीं कर रही, इसलिए हो सकता है कि आप काफ़ी लंबे समय तक यह शेयर रखें तो फ़ायदा हो जाए। अब यह भी कोई बताने की बात नहीं है।

शेयर बाजार की शुरुआत पर ही Paytm का शेयर कमजोर खुला। सुबह के कारोबार में ये 1,950 रुपये प्रति शेयर पर खुला और बाद में इसमें लगातार टूट देखी गई। कारोबार के अंत पर कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 1.01 लाख करोड़ रुपये रह गया जो लिस्टिंग के समय 1.39 लाख करोड़ रुपये था।

अगर Paytm के शेयर के खुलने और बंद होने के भाव का भी अंतर देखें तो इसमें 20% की कमी आई है। बीएसई पर कंपनी के कुल 10.06 लाख शेयर की ट्रेडिंग हुई।

पहले ही दिन इसमें बड़ी गिरावट देखी गई और कारोबार के अंत में बीएसई (BSE) पर ये 585.85 रुपये यानी 27.25% टूटकर बंद हुआ। इस तरह कंपनी के शेयर में निवेश करने वाले निवेशकों की संपत्ति से 38,000 करोड़ रुपये साफ हो गए।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर भी कंपनी का शेयर दिनभर में 20% टूटा। एनएसई पर कंपनी के 2.3 करोड़ शेयर की ट्रेडिंग हुई. यहां पर कंपनी का शेयर आईपीओ मूल्य से 27.44% टूटकर 1,560 रुपये पर बंद हुआ।

अब मुनाफ़ा कमाने के लिए इंतज़ार करें या बेच दें? 

देश का सबसे बड़ा आइपीओ लाकर पेटीएम ने बाज़ार से 18 हज़ार तीन सौ करोड़ रुपए की बड़ी रक़म उठा ली। लिस्टिंग के दिन ही कंपनी का मार्केट कैप क़रीब 39 हज़ार करोड़ रुपए गिर गया। जिन लोगों ने 2150 रुपए में शेयर ख़रीदा उन्हें पहले ही दिन कम से कम नौ पर्सेट और ज़्यादा से ज़्यादा साढ़े सत्ताइस पर्सेट का घाटा हो चुका था। उसके बाद भी गिरावट का सिलसिला थमेगा या नहीं कहना मुश्किल है क्योंकि एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज ने पेटीएम का सही भाव 1200 रुपए बताकर इसे अंडरपरफॉर्म की रेटिंग देनेवाली रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट लिस्टिंग के दिन बाज़ार खुलने से पहले ही आ चुकी थी और अब तो सोमवार को बाज़ार खुलने के बाद ही पता चलेगा कि जिन निवेशकों ने अब तक शेयर नही बेचे हैं या जो पहले दिन बेच नहीं पाए वो आगे क्या करेंगे? क्योंकि अब तमाम जानकार कह रहे हैं कि जो घाटा हो रहा है, उसे खाकर पेटीएम के शेयर से निकल जाना बेहतर रहेगा। 

Paytm के बारे में क्यों असफल हुए विशेषज्ञ? 

अपने पैसे से अर्जियां लगानेवाले छोटे बड़े निवेशकों को तो छोड़ दें। लेकिन हम बात पेटीएम की न करके उन लोगों की करते है, जिन्होंने तमाम जानकारों की सलाह और चेतावनियों को नज़रअंदाज़ कर पेटीएम के आइपीओ में अर्जियां लगाईं। वे क्या सोच रहे थे? उन्हें कोई फ़िक्र क्यों नहीं थी? 10 म्युचुअल फंड हैं, जिनके मैनेजरों ने इस इशू में एंकर इन्वेस्टर के तौर पर अपने फंड का पैसा लगाया है। वो तो पूरी तरह पढ़े-लिखे और इस कारोबार को अच्छी तरह समझने वाले लोग हैं। उन पर तो ज़िम्मेदारी है कि अपने निवेशकों के पैसे सुरक्षित तरीके से आगे बढ़ाने की, फिर उन्हें क्या हो गया था? 

FOMO (फियर ऑफ मिसिंग आउट) में इसका जवाब है।


कुछ ही दिन पहले ज़ोमैटो का आइपीओ आया था। वो कंपनी भी कुछ नहीं कमाती है बल्कि भारी घाटे में चल रही है। भविष्य में कब कमाएगी पता नहीं? लेकिन शेयर लिस्ट हुए तो 53 पर्सेट ऊपर आ गया। इसी तरह अभी नाइका का आइपीओ आया। यह कंपनी घाटे में नहीं है, हाल ही में मुनाफ़े में आ चुकी है। लेकिन वहाँ भी जो मुनाफ़ा है, उसके मुक़ाबले शेयर की क़ीमत फ़िलहाल तो काफ़ी ऊंची दिख रही है। फिर भी जिन लोगों ने पैसा लगाया, पहले ही दिन वो क़रीब क़रीब डबल हो गया। ऐसे अनेक आइपीओ आ चुके हैं, जिन्होंने निवेशकों को काफ़ी फ़ायदा दिखा दिया है। इनमें से ज़्यादातर में भारी मात्रा में पैसा लगा और बहुत कम लोगों को ही शेयर मिले।

गुस्सा और हताशा में जिन लोगों ने एक के बाद एक कई जगह अर्जी लगाई और कुछ नहीं मिला, वो अपने आसपास के लोगों को देखकर हर इशू में अर्जी लगा रहे हैं कि कहीं कुछ तो मिलेगा। इसी चक्कर में लोग फिर हर आइपीओ में अप्लाइ करते हैं और कई बार हाथ जला लेते हैं। 2021 में बहुत बड़ी संख्या में आइपीओ आए हैं। क़रीब 50 कंपनियों की लिस्टिंग हुई है, जिनमें कुल मिलाकर औसतन 31 पर्सेट की कमाई हुई है। यह लिस्टिंग के दिन का आँकड़ा है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर आइपीओ में कमाई ही हुई। पेटीएम सबसे भयानक कहानी है, क्योंकि यहाँ पहले ही दिन शेयर इशू प्राइस से 27.5 पर्सेट नीचे जाकर बंद हुआ, लेकिन इससे पहले भी कुछ कंपनियों में लिस्टिंग के दिन ख़ासा नुक़सान दिख चुका था। 

इनमें कल्याण जूलर्स और विंडलास बायोटेक जैसी कंपनियां हैं, जो 10 पर्सेट से ज़्यादा गिरी और सूर्योदय, कारट्रेड, नुवोको विस्टाज और एसआइएस एंटरप्राइजेस जैसी कंपनियां हैं, जो लिस्टिंग के दिन ही पाँच से 10 पर्सेट तक गिरी। हालांकि ख़राब लिस्टिंग का अर्थ यह क़तई नहीं है कि कंपनी का कारोबार अच्छा नहीं है। इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जब कंपनी का आइपीओ पूरा भरा नहीं या लिस्टिंग के दिन शेयर नीचे रहा लेकिन बाद में उसने जमकर कमाई करवाई।

कमाई करवाने वाले आइपीओ में हल्के रिस्पाँस के सबसे बड़े उदाहरण इन्फोसिस, एचडीएफ़सी और मारुति जैसे शेयर हैं। इन सभी का इशू पूरा भरने में भारी मुश्किल हुई और बाद में इन सबने निवेशकों को जमकर कमाई करवाई। जो लोग शेयर बाज़ार में कमाई के क़िस्से सुनाते हैं वो अक्सर उन कंपनियों की बातें करते हैं, जिन पर शुरू में किसी ने ध्यान नहीं दिया और जब तक नज़र पड़ी तब तक बहुत देर हो चुकी थी। ऐसी कंपनियां आम तौर पर वो होती हैं, जो कुछ नए किस्म का कारोबार कर रही होती हैं। आप उनके प्रोडक्ट या उनकी सेवा का इस्तेमाल भी कर रहे होते हैं लेकिन इशू के समय अर्जी लगाने से कतरा जाते हैं। बाद में समझ में आता है कि कितनी बड़ी कमाई का मौक़ा सामने था और आपने गँवा दिया।

अब यह कोई नई बात तो रह नहीं गई है, ऐसी तमाम कहानियां हैं और इन्हीं की वजह से लोग डरने भी लगे हैं कि कहीं ऐसा न हो कि बहुत बड़ी कमाई का कोई मौक़ा हाथ से निकल जाए। पेटीएम के साथ यही हुआ। अपने कारोबार की दिग्गज कंपनी है। ज़्यादातर लोग, जिन्होंने इसमें अर्जी लगाई वो दिन में दो चार बार पेटीएम करते ही होंगे। तो देखने से लगता है कि कंपनी अच्छा कारोबार कर रही है, इसमें पैसा लगाने में क्या हर्ज है। लेकिन यह बहुत कम लोगों ने देखा कि कंपनी जितना कारोबार कर रही है, उसमें से बहुत कम पैसा उसके पास आमदनी के तौर पर आता है और उसमें से भी बड़ा हिस्सा बैंकों को चला जाता है और यह तो आमदनी है। खर्चे निकालकर कंपनी काफ़ी घाटे में चल रही है। बहुत से लोग यह सब जानने के बाद भी इस डर में अर्जी लगा बैठे कि अगर इशू के बाद शेयर तेज़ी से चल पड़ा तो फिर मौक़ा चूक जाएंगे, इसी को कहते हैं FOMO यानी चूक जाने का डर।

शेयर बाजार की तेजी भी खतरनाक होती है।

बाज़ार की बुलंदी भी खतरनाक होती है जिस समय बाज़ार बुलंदी पर होता है उसी वक़्त इसी डर का फ़ायदा उठाने के लिए भी बहुत सी कंपनियां बाज़ार में आ जाती हैं। उनके मर्चेट बैंकर और लीड मैनेजर कंपनी के सुनहरे भविष्य के सपने दिखाते हैं और ऊंचे भाव पर शेयर बेचने में कामयाब हो जाते हैं। लेकिन बाद में जब भाव नहीं मिलते या घाटा होता है तो उनमें पैसा लगाने वाले लोग न सिर्फ़ घाटा उठाते हैं बल्कि इनमें से ज़्यादातर लोग फिर बाज़ार छोड़कर भाग जाते हैं और क़सम भी खा लेते हैं कि फिर कभी शेयरों में पैसा नहीं लगाएंगे। पिछले एक साल में बाज़ार में दो करोड़ से ज़्यादा नए निवेशक आए हैं।

सबसे ज़्यादा डर इसी बात का है कि लोग अगर एक आध बार दूध से जल गए तो फिर छाछ पीने से भी परहेज करेंगे। अब सेबी कह रहा है कि वो इस बात पर जोर देगा कि आइपीओ के विज्ञापनों में जोखिम का ज़िक्र प्रमुखता से हो, यानी कारोबार में क्या-क्या ख़तरा हो सकता है यह बात साफ़ शब्दों और बड़े अक्षरों में बताई जाए। लेकिन यहाँ यह भी साफ़ करना ज़रूरी है कि आइपीओ ही शेयरों में पैसा लगाने का सुनहरा मौक़ा नहीं होता। बल्कि कुछ बड़े जानकार तो ज़ोर देकर कहते हैं कि अगर आप बाज़ार में अच्छे शेयर लेकर लंबे समय तक टिकना चाहते हैं तो आपको आइपीओ से दूर ही रहना चाहिए। खुले बाज़ार से अच्छे शेयर ख़रीदकर आप कहीं बेहतर कमाई कर सकते हैं।

निवेश के सिद्धांतों को छोड़ भी दें तब भी आइपीओ में अर्जी लगानेवालों को इतनी मेहनत तो करनी ही चाहिए कि वो हर कंपनी के बारे में बुनियादी जानकारी जुटा लें और यह हिसाब ज़रूर लगा लें कि कंपनी जिस भाव पर अपने शेयर जारी कर रही है उतना पैसा वापस आने में ही कितने साल लग सकते हैं और कंपनी किस तेज़ी से मुनाफ़ा कमाकर या कारोबार बढ़ाकर यह इंतज़ार कम कर सकती है। अगर आप इतना भी नहीं कर सकते तो फिर शेयर बाज़ार को दोष देना सही नहीं होगा।

सोमवार के दिन शेयर बाजार का हाल।

गुरुवार को अंत में यह 1,564.15 रुपये पर बंद हुआ था। यानि लिस्ट‍िंंग के दिन ही इसके निवेशकों को 26 फीसदी का नुकसान हो गया था।

सोमवार को यानी आज यह शेयर 1500 रुपये पर खुला और गिरते हुए दोपहर 12.77 के आसपास 1271.25 रुपये तक पहुंच गया। हालांकि बाद में यह थोड़ा संभल गया. कारोबार के अंत में पेटीएम 13.03% की गिरावट के साथ 1360.30 रुपये पर बंद हुआ। इस तरह दो कारोबारी सत्र में निवेशकों का धन इश्यू कीमत से करीब 37 फीसदी तक की गिरावट देख चुका है।

सोमवार को कारोबार के दौरान यह गिरते हुए 1200 के आसपास पहुंच गया, जो ब्रोकरेज फर्म मैक्वायरी (Macquarie) के हिसाब से इसका सही वैल्युशन था। हालांकि बाद में यह थोड़ा संभल गया। सिर्फ दो कारोबारी सत्रों में ही इसके निवेशकों को करीब 37 फीसदी का भारी नुकसान हो चुका है।

ब्रोकरेज फर्म मैक्वायरी (Macquarie)  का कहना है कि,'पेटीएम का वैल्युएशन काफी महंगा है और लंबे समय तक इसके मुनाफा कमाने की क्षमता पर संदेह बना हुआ है।

अब MobiKwik, Oyo की बढ़ी टेंशन।

Paytm की खराब लिस्टिंग की वजह से अब एक्सपर्ट का मानना है कि आने वाले समय में इसका असर MobiKwik और Oyo के आईपीओ पर पड़ सकता है। इसमें MobiKwik तो Paytm जैसी ही पेमेंट कंपनी है. वहीं Oyo भी एक स्टार्टअप कंपनी है।

सिंगापुर के प्रमुख इंवेस्टमेंट और फंड मैनेजर क्रिस्टी फॉन्ग ने कहा कि Paytm की लिस्टिंग से उम्मीद की जा सकती कंपनियों के प्रमोटर्स अब उनकी कंपनियों के वैल्यूएशन को लेकर थोड़ा बहुत वास्तविकता के करीब पहुंचेंगे।

DiSCLAIMER: यहां पर खबर लिखे जाने तक की  घटनाक्रम का जिक्र किया गया है। आगे की संभावनाओं का वर्णन आप अपनी जिज्ञासा अनुसार तलाश करें।

सौजन्य: समाचार एजेंसी के माध्यम से।

 

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